कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर से हैवानियत और मर्डर के मामले में 14 घंटे की देरी से एफआईआर दर्ज किए जाने को लेकर ममता सरकार सवालों के घेरे में है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ममता सरकार से पूछा कि एफआईआर दर्ज करने में 14 घंटे की देरी क्यों हुई।
सुप्रीम ने घटना की सूचना की पुलिस की जनरल डायरी एंट्री, अप्राकृतिक मौत की प्रविष्टि और एफआईआर दर्ज करने के समय में विसंगतियों पर बंगाल सरकार पर प्रश्नों की बौछार करते हुए इसे गंभीर मामला करार दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''रिकॉर्ड देखने से पता चलता है कि पोस्टमॉर्टम होने के बाद अप्राकृतिक मौत की प्रविष्टि दर्ज की गई। जबकि पोस्टमार्टम होता है तो इसका मतलब है कि अप्राकृतिक मौत हुई है तो फिर अप्राकृतिक मौत की एंट्री उसके बाद कैसे की गई। पुलिस ने जो प्रक्रिया अपनाई है, वह आपराधिक कानून में नहीं होती।''
जस्टिस पार्डीवाला ने कहा कि उन्होंने 30 वर्षों के करियर में ऐसा नहीं देखा। कोर्ट के सवालों पर कई बार बंगाल की पैरोकारी कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल निरुत्तर दिखे।
कोलकाता रेप एवं मर्डर केस में कब क्या हुआ?
9 अगस्त 2024...
●सुबह 9:30 बजे - आरजी कर अस्पताल में स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष की प्रशिक्षु ने पीड़िता की बॉडी को दूर से देखा। उसने अपने सहकर्मियों और सीनियर डॉक्टरों को इसकी जानकारी दी। फिर सीनियर डॉक्टर्स ने अस्पताल प्रशासन को अलर्ट किया।
●सुबह 10:10 बजे- आरजी कर अस्पताल की पुलिस चौकी ने टाला पुलिस थाने में घटना की जानकारी दी। पुलिस अधिकारियों को बताया गया कि आपातकालीन भवन की तीसरी मंजिल पर एक सेमिनार कक्ष में एक महिला अचेत अवस्था में लकड़ी के मंच पड़ी है। महिला अर्धनग्न अवस्था में है। यह जानकारी जनरल डायरी एंट्री के तौर पर दर्ज कर पुलिस घटनास्थल के लिए रवाना होती है।
●सुबह 10:30 बजे- पुलिस अधिकारी अपराध स्थल पर पहुंचते हैं और स्थिति का जायजा लेते हैं। वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया जाता है और अपराध स्थल को सील कर दिया जाता है।
●सुबह 10:52 बजे- अस्पताल के सहायक अधीक्षक पीड़िता के परिवार को सूचित करते हैं और उन्हें जल्दी आने के लिए कहते हैं।
●सुबह 11:00 बजे- होमिसाइड टीम मौके पर पहुंचती है।
●दोपहर 12:25 बजे- डिटेक्टिव डिपार्टमेंट की साइंटिफिक विंग के वीडियोग्राफर और फोटोग्राफर घटनास्थल पर पहुंचते हैं। महिला की बॉडी की पहली फोटो दोपहर 12:29 बजे क्लिक की जाती है। फिंगरप्रिंट और फुटप्रिंट एक्सपर्ट भी मौके पर पहुंचते हैं। तभी कोलकाता पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर आते हैं और फॉरेंसिक टीम को भी बुलाया जाता है।
●दोपहर 12:44 बजे- ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर पीड़िता की जांच करते हैं और उसे मृत घोषित कर देते हैं।
●दोपहर 1:00 बजे- पीड़िता के माता-पिता अस्पताल पहुंचते हैं। अधिकारियों से मिलते हैं और 10 मिनट बाद उन्हें सेमिनार कक्ष में ले जाया जाता है।
●दोपहर 1:47 बजे- अस्पताल की ओर से पीड़िता का मेडिकल सर्टिफिकेट और डेथ सर्टिफिकेट पुलिस को सौंपा जाता है। पुलिस अधिकारी शरीर पर चोटों का निरीक्षण करता है, जिसमें निजी अंगों पर भी चोटें शामिल हैं। इसके बाद अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया जाता है।
●दोपहर 3:00 बजे- पीड़िता के परिजनों और सहकर्मी ने पहले मौखिक और फिर लिखित तौर पर मांग की कि पोस्टमॉर्टम न्यायिक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में किया जाए और उसकी वीडियोग्राफी भी कराई जाए।
●शाम 4:10 बजे- न्यायिक मजिस्ट्रेट मौके पर पहुंचे। 4:20 से 4:40 बजे के बीच पंचनामा किया जाता है। इस दौरान पीड़िता के परिवार के सदस्य और सहकर्मी मौजूद रहते हैं। इस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की जाती है।
●शाम 6:10 बजे से 7:10 बजे- न्यायिक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में फोरेंसिक डॉक्टरों के बोर्ड द्वारा पोस्टमॉर्टम किया गया। पीड़िता के परिवार के सदस्य और सहकर्मी उपस्थित रहते हैं। पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी की जाती है
●रात 8:00 बजे- डॉग स्क्वाड मौके पर पहुंचता है। रात 8:37 बजे से 8:52 बजे के बीच अपराध स्थल की 3डी मैपिंग की जाती है।
●रात 8:30 बजे से 10:45 बजे के बीच- फोरेंसिक टीम 40 से अधिक वस्तुओं को जांच के लिए सुरक्षित रख लेती है। इस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई और स्थानीय गवाह मौजूद थे। पोस्टमार्टम के बाद शव परिवार को सौंप दिया गया।
●रात 11:45 बजे- पीड़िता के पिता की शिकायत पर रेप और मर्डर के आरोपों में एफआईआर दर्ज की जाती है।
पुलिस का कहना है कि पीड़िता के सहकर्मियों से पूछताछ व संदिग्धों की जांच 9 अगस्त से ही शुरू हो गई थी। जबकि अगले दिन सुबह 10 बजे आरोपी संजय रॉय को जांच और गुनाह कबूलने के बाद गिरफ्तार किया गया।
कोलकाता रेप व मर्डर केस में यह अब तक की एकमात्र गिरफ्तारी है। कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद से मामले की जांच सीबीआई कर रही है।
मौत की पुष्टि में तीन घंटे का समय क्यों?
सुबह 9:30 शव देखा गया और ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने दोपहर 12:44 बजे मौत की पुष्टि की। यानी तीन घंटे से भी ज्यादा समय। डॉक्टर ने पुलिस को सूचना दी थी कि अचेत अवस्था में महिला पड़ी है तो फिर इलाज क्यों नहीं हुआ और अगर शव था तो उसकी पुष्टि करने के लिए डॉक्टर की जरूरत नहीं है।
आत्महत्या का एंगल कहां से आया?
पीड़िता के माता-पिता ने कलकत्ता हाईकोर्ट को बताया- उन्हें सुबह 10:53 बजे अस्पताल से फोन आया। कहा गया कि आपकी बेटी बीमार है।
फिर 11:15 बजे दूसरा कॉल आया, जिस पर बताया गया कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। जबकि कोलकाता पुलिस की टाइमलाइन में सिर्फ एक कॉल का जिक्र है और आत्महत्या का नहीं, ऐसा क्यों?
माता-पिता को इंतजार क्यों कराया?
कोलकाता हाईकोर्ट में दायर याचिका में मृतक डॉक्टर के माता-पिता ने बताया, उन लोगों को तीन घंटे तक इंतजार कराया गया। इसके बाद बॉडी देखने की इजाजत दी गई।
पीड़िता की मां ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को देखने के लिए अस्पताल प्रशासन से विनती की, उनके सामने रोईं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
पुलिस की टाइमलाइन के मुताबिक, माता-पिता को अस्पताल पहुंचने के तुरंत बाद सेमिनार कक्ष में ले जाया गया। पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने भी कोर्ट में कहा कि माता-पिता को इंतजार नहीं कराया गया था।
एफआईआर दर्ज करने में देरी क्यों?
कलकत्ता हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने सवाल उठाया कि अप्राकृतिक मौत के तौर पर मामला दर्ज हुआ। अस्पताल प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करने के लिए शिकायत दर्ज क्यों नहीं की।
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कोर्ट में कहा कि शव मिलने के करीब 14 घंटे देरी से एफआईआर दर्ज क्यों की गई। ऐसे मामले में कॉलेज के प्रिंसिपल को तुरंत कॉलेज आना चाहिए था और एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देना चाहिए था, ऐसा क्यों नहीं हुआ।
अपराध स्थल सुरक्षित पर कैसे पहुंची भीड़?
कोलकाता पुलिस के मुताबिक, क्राइम सीन को सुबह 10:30 बजे सीज कर लिया गया था, यानी शव मिलने के करीब एक घंटे बाद। 15 अगस्त को अस्पताल में भीड़ के घुसने और तोड़फोड़ करने के बाद भी कोलकाता पुलिस ने जोर देकर कहा कि अपराध स्थल सुरक्षित था।
सीबीआई ने कोलकाता पुलिस के इस तथ्य को नकार दिया। सीबीआई की ओर से कहा गया कि हमने पांच दिन बाद जांच शुरू की। अपराध स्थल को बदल दिया गया है, इसलिए जांच करने में चुनौती आ रही है। एफआईआर भी अंतिम संस्कार के बाद 11:45 बजे दर्ज की गई थी।