भाजपा के कद्दावर नेता, शेखावाटी की राजनीति के भीष्म पितामह काका के नाम से मशहूर काका सुंदरलाल का 92 साल की उम्र में देवलोकगमन हो गया। काका सुंदरलाल सात बार विधायक रहने के साथ ही राजस्थान सरकार में कैबिनेट व राज्य मंत्री रहे। पिलानी विधानसभा में पहली बार कमल खिलेगा का श्रेय काका सुंदरलाल को ही जाता है। उनके स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मधुर व आत्मीय संबंध रहे। भाजपा की राजनीति में उनका कद बहुत बड़ा था। ठेठ देशी अंदाज में अपनी बात को रखने वाले काका सहजता से ही आम जन से जुड़ जाते थे । दशकों तक राजनीति पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने वाले काका सुंदरलाल पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा। बेदाग छवि के धनी काका सुंदरलाल को चुनाव लड़ना नहीं बल्कि जीतना आता था। अपने समर्थकों व कार्यकर्ताओं से भली-भांति परिचित यही उनकी खासियत थी कि उनके समर्थकों ने सात बार विधायक बनाया। जमीन से जुड़े नेता होने के साथ ही झुंझुनूं की राजनीति में अजेय योद्धा के रूप में याद किए जायेंगे। जब उनकी उम्र के साथ राजनीतिक जीवन ढलान पर था तब भाजपा ने उनके बेटे कैलाश मेघवाल को टिकट नहीं दी, जिसका उन्हें मलाल था। इसके बावजूद भी उनकी भाजपा के प्रति निष्ठा कम नहीं हुई, जिसका उदाहरण था कि प्रदेश स्तर का कोई भी नेता जिले के दौरे पर आता था तो उनके निवास स्थान पर उनकी कुशल-क्षेम पूछने जरूर जाता था। एक साधारण परिवार में जन्मे काका सुंदरलाल ने राजस्थान की राजनीति में जो मुकाम हासिल किया, वह आज के नेताओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनके निधन से शेखावाटी की ही नहीं बल्कि राजस्थान की राजनीति में एक शून्यता आ गई जिसको कभी पूरा नहीं किया जा सकता। काका सुंदरलाल के देवलोकगमन पर आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) परिवार की ओर से सादर श्रद्धांजलि ।
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