मकर संक्रांति पर रहेगा पुनर्वसु- पुष्य नक्षत्र का युग्म संयोग

AYUSH ANTIMA
By -
0




जयपुर: माघ कृष्ण चतुर्थी 14 जनवरी को सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आ जाते हैं। उत्तरायण को देवता का दिन कहा जाता है। मकर संक्रांति को कई अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। कुछ जगहों पर इसे संक्रांति, पोंगल, माघी, उत्तरायण, उत्तरायणी और खिचड़ी जैसे नाम से जाना जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने और दान करने दोनों का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होने से लोग विभिन्न तीर्थों का सेवन करेंगे। जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, ऊनी वस्त्र या कंबल और तिल गुड़ का दान किया जाएगा। गौशाला में चारा और गुड़ खिलाने वालों की भीड़ रहेगी। ज्योषिाचार्य डॉ.महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि इस बार मकर संक्रांति पर पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का युग्म संयोग रहेगा। शुभ संयोग होने से मकर संक्रांति पर दान, स्नान और जप करने का महत्व बढ़ जाता है। सूर्य उत्तरायण होने पर ठंड असर कम होना शुरू हो जाएगा।  मकर संक्रांति के बाद नदियों में वाष्पन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिससे कई सारी शरीर के अंदर की बीमारियां दूर हो जाती हैं। इस मौसम में तिल और गुड़ खाना काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर को गर्म रखता है। धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा और यमुना सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पिता-पुत्र से संबंधित है पर्व
डॉ.मिश्रा ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश कर एक मास निवास करते हैं। इससे यह पर्व पिता और पुत्र की आपसी मतभेद को दूर करने तथा अच्छे संबंध स्थापित करने की सीख देता है। सूर्य के मकर राशि में आने पर शनि से संबंधित वस्तुओं के दान एवं सेवन से सूर्य के साथ शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। कुंडली में उत्पन्न अनिष्ट ग्रहों के प्रकोप से लाभ मिलता है।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!