आखिर इन राजनेताओं को सनातनी परम्पराओं से चिढ़ क्यों है

AYUSH ANTIMA
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सनातन धर्म व हिन्दुत्व की धार्मिक मान्यताओं व परम्पराओं पर प्रहार करना देश के राजनेताओं ने अपना मौलिक अधिकार समझ लिया है। कांग्रेस ने तो रामसेतु व रामचरित मानस को ही काल्पनिक करार दिया था जबकि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम हर सनातनी के आराध्य देव हैं। प्रयागराज में इस सदी का पवित्र महाकुंभ पर्व चल रहा है लेकिन ममता बनर्जी जैसी संकीर्ण विचारधारा की राजनेता ने इस महापर्व को मृत्युकुंभ की संज्ञा दी है। ममता बनर्जी के इस बयान को लेकर देश के हर सनातनी को सोचना होगा कि ममता की इस धर्म के प्रति क्या सोच है। ममता बनर्जी ने एक बहुत ही आपत्तिजनक व निंदनीय बयान दिया कि प्रयागराज में मृत्यु कुंभ है। सनातनी धर्म की मान्यताओं व परम्पराओं को ममता मानें या न माने, यह उनका विशेषाधिकार हो सकता है लेकिन सनातन की आस्था पर प्रहार की इजाजत उनको किसी भी सूरत में नहीं दी जा सकती। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वर्णिम कार्यकाल में सनातन धर्म की मान्यताओं को पुनर्जीवित करने व रामलला के मंदिर का निर्माण देखने को मिला है। ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से चिढ़ व राजनीतिक प्रतिस्पर्धा हो सकती है लेकिन उनको महाकुंभ जैसे ऐतिहासिक आयोजन को लेकर गैर जिम्मेदाराना बयान से बचना चाहिए। क्या ममता बनर्जी किसी भी दूसरे धर्म के ऐसे धार्मिक आयोजन को लेकर टिप्पणी करने की हिम्मत रखती है ? 
सूत्रों की मानें तो देश व विदेश से करीब साठ करोड़ सनातनियों ने संगम में डुबकी लगाने के साथ ही सनातन धर्म की ध्वज पताका पूरे विश्व में फहराने का काम किया है। इस आयोजन को मृत्यु कुंभ की संज्ञा देना ममता बनर्जी के दिमागी दिवालियापन का सूचक है। राजनेताओं की राजनीतिक विचारधारा अलग हो सकती है लेकिन किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का अधिकार उनको नहीं होना चाहिए। वैसे पूरा विपक्ष सनातन के प्रति लोगो की श्रध्दा को देखकर बौखलाहट है कि कहीं इसका खामियाजा आने वाले समय में देखने को मिले। राजनीतिक दलों को सरकार का  विरोध करना उनका विशेषाधिकार है लेकिन एक राज्य की निर्वाचित मुख्यमंत्री का यह बयान प्रत्येक सनातनी को अपने ज़ेहन में रखना चाहिए। इसी क्रम में आप जैसे राजनीतिक दल ने गंगा जमुना सरस्वती के संगम के पवित्र जल को गटर का पानी कहकर संबोधित करना उनकी श्रध्दा व विश्वास पर प्रहार है, जिन्होंने इसमें डुबकी लगाई है।‌ वैसे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन व उनके मंत्री पुत्र उदयनिधी ने सनातन धर्म को नष्ट करने की बात कही है लेकिन उदयनिधी ने यह नहीं सोचा होगा कि जब उनका इस धरती पर उदय ही नहीं हुआ था, उस समय मुगलों और अंग्रेज ही इस पुरातन धर्म को नष्ट नहीं कर पाए तो उदयनिधी की तो औकात ही क्या हो लेकिन देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस का दुर्भाग्य ही कहे कि ऐसे दल से गठबंधन कर खुद के वजूद को मिटाने की तरफ बढ़ रहा है।

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