उपरोक्त मारवाड़ी कहावत जिले के स्थानीय नेताओं पर फिट बैठती है, जो बजट को लेकर सोशल मिडिया पर पोस्ट डालकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। इस बजट मे यदि देखा जाए तो झुंझुनूं को मिला बाबाजी का ठुल्लू। विदित हो किसी भी सरकारी परियोजना या प्रोजेक्ट को लेकर बजट में प्रावधान किया जाता है लेकिन इस बजट में यमुना जल का पानी शेखावाटी को दिलाने वाली महत्वाकांक्षी योजना के लिए बजट मे शायद ही एक शब्द बोला गया हो। इसके साथ ही जिला मुख्यालय पर एक सरकारी इंजिनियरिंग महाविद्यालय की बहुत आवश्यकता है, शायद इसकी स्थानीय नेताओं की नजरों मे जरूरत नहीं बल्कि एक आम आदमी, जो एक मूल्यवान मतदाता हैं, उसको अपने बच्चों को तकनीकी शिक्षा दिलाने की जरूर लालसा है। जो जयपुर, बीकानेर, जोधपुर या अन्य शहरों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जो आर्थिक रूप से बहुत ही महंगा सौदा है। झुंझुनू में रेलवे क्रासिंग पर बना पुल मुंह बाए खड़ा है, इसको लेकर भी संज्ञान लेने की जरूरत है कि आखिर कब तक इस पुल का निर्माण संभव है। पीने के पानी के संकट की मार झेल रहा झुंझुनूं जिला इंतजार कर रहा है कि कब इस समस्या का निदान होगा। विदित हो जब तक बजट में किसी भी परियोजना का वित्तिय प्रावधान न हो, उसके बारे में बात करना या बड़े बड़े दावे करना जनता के साथ छलावा ही होगा। जैसा कि पिछले साठ साल से कांग्रेस यह छलावा करती आई है और उसी परिपाटी का अनुसरण भाजपा भी कर रही है। पिलानी विधानसभा की बात करें तो पिलानी में सरकारी महाविद्यालय की बहुत जरूरत है क्योंकि पिलानी का एकमात्र पीजी कालेज एमके साबू पीजी महाविद्यालय को इस सत्र से बंद करने का निर्णय ले लिया गया है। बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का उद्घोष करने वाली भाजपा को इस महाविद्यालय में पढ़ने वाली बालिकाओं के भविष्य की चिंता शायद नहीं है, जो अब पिलानी से बाहर अन्यत्र जगह पढ़ने जायेगी या इस महाविद्यालय के बंद होने से पढ़ाई बीच में ही छोड़ देगी। पिलानी विधानसभा भी पीने के पानी की मार से अछूता नहीं है। इस विधानसभा को यदि तात्कालिक पानी की व्यवस्था हो सकती है तो वह केवल कुंभाराम लिफ्ट परियोजना ही है। बजट को लेकर मंत्रमुग्ध स्थानीय नेताओं व माननीय विधायकों के बारे में यही कहा जा सकता है कि घर का पुत कुंवारा डोले पाड़ोसी का फेरा ।
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